रोलर कोस्टर बाजार का तोड़ है मल्टी एसेट फंड, लेकिन इसमें निवेश से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

Updated on 14-12-2023 02:52 PM
मुंबई: इन दिनों शेयर बाजार में अच्छे दिन नहीं चल रहे दिखते हैं। किसी दिन बाजार झूम जाता है तो किसी दिन बिकवाल हावी हो जाते हैं। शेयर बाजार की इस अस्थिरता से ज्यादातर निवेशक खुश नहीं होते हैं। हालांकि निवेशक चाहे तो इससे अपने इनवेस्टमेंट को एक तरह से शील्ड दे सकते हैं। ऐसी स्थिति से बचने का उपाय है एसेट क्लास में महत्वपूर्ण डायवर्सिफिकेशन। एसेट क्लास अपने खुद के चक्रों का पालन करते हैं, और उनके उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी करना कभी आसान नहीं होता है। लेकिन, मल्टी एसेट फंड (Multi Asset Fund) के जरिए इस स्थिति से निबटने में ज्यादा आसानी होगी। हालांकि मल्टी एसेट फंड से भी सर्वोत्तम रिटर्न पाने के लिए इनवेस्टर्स को कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। आज हम इन्हीं सावधानी की चर्चा कर रहे हैं।

ऐसे में क्या करें निवेशक

छोटे या रिटेल इनवेस्टर (Retail Investors) ऐसी स्थिति में डर जाते हैं। शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि ऐसे में निवेशकों को सीजन एसेट क्लास के फ्लेवर के झांसे में नहीं आना चाहिए। इसके बजाय अपने पोर्टफोलियो के लिए एक संतुलित एसेट एलोकेशन स्ट्रेटेजी (Balanced Asset Allocation Strategy) का पालन करना चाहिए। यही वह जगह है जहां मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड फिट बैठते हैं और निवेशकों के लिए सबसे अच्छा अवसर प्रदान करते हैं। यह देखते हुए कि इक्विटी बाजारों में सुधार जितना दिखता है उससे कहीं ज्यादा अच्छा हो सकता है।

सेबी का नियम क्या कहता है


एडवाइजर खोज के को-फाउंडर द्वैपायन बोस का कहना है कि मल्टी एसेट फंड हाइब्रिड फंड हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक, फंड हाउसों को अपने फंड का न्यूनतम 10% कम से कम तीन एसेट क्लास में निवेश करना होगा। इन तीन एसेट क्लास में घरेलू और इंटरनेशनल इक्विटी, डेट और कमोडिटी का मिला जुला क्लास हो सकता है। इस तरह की रणनीति के लिए सभी एसेट क्लास में निवेश की जरूरत होती है। बाजार की अस्थिरता के बावजूद इस निवेश को स्थिर रखा जाना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान


बोस के मुताबिक मल्टी एसेट फंड से सर्वोत्तम रिटर्न पाने के लिए निवेशकों को इन 3 बातों को ध्यान में रखना चाहिए। पहला यह कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि फंड लेबल के अनुरूप है और एसेट आवंटन मिश्रण में बदलाव नहीं है। उदाहरण के तौर पर निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड घरेलू और विदेशी इक्विटी, कमोडिटी और डेट में 50:20:15:15 के निवेश अनुपात को कभी नहीं बदला है।। इस तरह का अनुशासित निवेश दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक हमेशा लाभ में रहें।

दूसरा, ऐसा फंड चुनना चाहिए जिसका अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में भी निवेश हो। उदाहरण के लिए निप्पॉन मल्टी एसेट फंड जो चार परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करता है और कॉर्पस का 20% हिस्सा अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में जाता है। सुंदरम, इनवेस्को और एक्सिस जैसे अन्य मल्टी एसेट फंड भी वैश्विक बाजारों में निवेश करते हैं।

तीसरा-मल्टी एसेट फंड में निवेश करने का तीसरा फायदा निवेशकों को मिलने वाला इंडेक्सेशन का लाभ है। इंडेक्सेशन आपको फंड से ज्यादा प्राप्त करने में मदद करता है क्योंकि निवेश के मूल्य की गणना महंगाई जैसे कारकों को ध्यान में रखकर की जाती है और इससे आपको अधिक लाभ मिलता है।

एक साल में क्या रहा है रिटर्न


पिछले एक साल में मल्टी एसेट फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है। निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड 15.72% रिटर्न के साथ सबसे आगे है। उसके बाद 13.85% के साथ मोतीलाल ओसवाल और 13.74% के साथ एचडीएफसी मल्टी एसेट फंड है। टाटा मल्टी एसेट फंड का रिटर्न इस दौरान 12.71% रहा है। मतलब कि सभी फंड हाउस ने 12 फीसदी से ज्यादा का ही रिटर्न दिया है।

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